अमेरिका के साथ ट्रेड वॉर तेज़ होने के चलते चीन की GDP में शीघ्र गिरावट की आशंका।
मानो या न मानो, इस साल चीन की आर्थिक वृद्धि को गहरा झटका लग सकता है। यह एक चिंताजनक स्थिति है, जो अमेरिका के साथ तेज़ होते ट्रेड वॉर के कारण उत्पन्न हुई है। Barclays के विश्लेषकों के अनुसार, यह लगातार चल रही तनातनी चीन की अर्थव्यवस्था पर गंभीर दबाव डाल रही है, हालांकि देश आर्थिक प्रोत्साहन (stimulus) को बढ़ाने और हर संभव उपाय अपनाने के लिए तैयार दिख रहा है।
Barclays का अनुमान है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए कुल 145% टैरिफ के बाद चीन की GDP में 1.5% से 3% तक की गिरावट आ सकती है। जवाब में, बीजिंग ने अमेरिकी वस्तुओं पर 125% तक के टैरिफ लगा दिए। Barclays का कहना है कि अमेरिका और चीन के बीच बढ़ता हुआ यह ट्रेड वॉर डिफ्लेशनरी प्रभाव डाल सकता है, क्योंकि निर्यात पर पड़ने वाला दबाव चीन की घरेलू आर्थिक समस्याओं को और भी बढ़ा सकता है।
Barclays पहले ही यह बता चुका है कि उसकी वृद्धि संबंधी पूर्वानुमान बीजिंग के संभावित जवाबी उपायों, टैरिफ में संभावित कटौती, वित्तीय प्रोत्साहन और अमेरिका द्वारा कुछ टैरिफ वापस लेने की संभावना जैसे सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए बनाए गए हैं। पिछले हफ्ते व्हाइट हाउस ने घोषणा की कि इलेक्ट्रॉनिक सामानों के आयात को 145% टैरिफ वृद्धि से अस्थायी रूप से छूट दी जाएगी। राष्ट्रपति ट्रंप ने स्पष्ट किया कि यह एक अल्पकालिक समायोजन है और इलेक्ट्रॉनिक्स पर अंतिम टैरिफ दर बाद में तय की जाएगी।
Barclays के मुद्रा रणनीतिकारों (currency strategists) ने यह भी माना कि बीजिंग की ओर से और अधिक वित्तीय प्रोत्साहन दिए जाने की संभावना है। खास ध्यान उन उपायों पर होगा जो घरेलू परिवारों को समर्थन देने और उपभोक्ता खर्च बढ़ाने पर केंद्रित हों। साथ ही, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में निवेश को भी चीन की विकास रणनीति में एक प्रमुख भूमिका निभाते देखा जा रहा है।
मार्च 2025 में, चीन का ट्रेड बैलेंस उम्मीद से बेहतर रहा, जिसका कारण निर्यात में अचानक आई तेज़ी थी। चीनी निर्माताओं ने ट्रंप द्वारा तय की गई टैरिफ डेडलाइन से पहले बड़ी मात्रा में सामान अमेरिका भेजा। अप्रैल के व्यापार आंकड़े ट्रेड वॉर का चीन की अर्थव्यवस्था पर पूरा असर स्पष्ट रूप से दिखा सकते हैं।